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भवान्याष्टकम् - न तातो न माता | Bhavanyashtakam | Vishal Shukla | Aman Tiwari | Spiritual Naad

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भवान्याष्टकम् भगवत्पाद जगतगुरु आद्य शंकराचार्य भगवान द्वारा रचित माँ जगदम्बा की प्रार्थना है।
हमने यथाबुद्धि इस कर्णप्रिय स्तुति को पारम्परिक धुन में संजोकर प्रस्तुत करने का प्रयास किया है
आशा है आप पुनः हमें आशीर्वाद प्रदान करेंगे ।
श्रेष्ठजन हमारी गलती को क्षमा करें।

साथ ही इस वीडियो को लाइक, शेयर और हमारे चैनल "Spiritual Naad" को Subscribe करना न भूलें।
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भवान्याष्टकम् - न तातो न माता | Bhavanyashtakam | Vishal Shukla | Aman Tiwari | Spritual Naad
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Vocal - Vishal Shukla
Instragram - https://instagram.com/_vishalshukla
Music - Aman Tiwari (Musical Aman)
Instragram - https://instagram.com/amantiwari.in
Lyrics - Aadi Shankaracharya Ji
Compitition - Traditional
Mix & Master - Aman Tiwari
Video - Mukund Tekam & Aman Tiwari
https://instagram.com/music_nd_peace
© Spritual Naad
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|| भवान्याष्टकम् - अर्थ सहित ||

न तातो न माता न बन्धुर्न दाता
न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता।
न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥१॥

हे भवानि! पिता, माता, भाई, दाता, पुत्र, पुत्री, भृत्य, स्वामी, स्त्री, विद्या और वृत्ति-इनमें से कोई भी मेरा नहीं है, हे देवि! एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो, तुम्ही मेरी गति हो।

भवाब्धावपारे महादुःखभीरुः
पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः।
कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥२॥

मैं अपार भवसागर में पड़ा हूँ, महान दु:खों से भयभीत हूँ, कामी, लोभी, मतवाला तथा घृणायोग्य संसार के बन्धनों में बँधा हुआ हूँ, हे भवानि! अब एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो।

न जानामि दानं न च ध्यानयोगं
न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम्।
न जानामि पूजां न च न्यासयोगम्
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥३॥

हे देवि! मैं न तो दान देना जानता हूँ और न ध्यानमार्ग का ही मुझे पता है, तन्त्र और स्तोत्र-मन्त्रों का भी मुझे ज्ञान नहीं है, पूजा तथा न्यास आदि की क्रियाओं से तो मैं एकदम कोरा हूँ,
अब एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो।

न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थं
न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित्।
न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातर्
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥४॥

न पुण्य जानता हूँ, न तीर्थ, न मुक्ति का पता है न लय का। हे माता! भक्ति और व्रत भी मुझे ज्ञात नहीं है, हे भवानि! अब केवल तुम्हीं मेरा सहारा हो।

कुकर्मी कुसंगी कुबुद्धिः कुदासः
कुलाचारहीनः कदाचारलीनः।
कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धः सदाहम्
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥५॥

मैं कुकर्मी, बुरी संगति में रहने वाला, दुर्बुद्धि, दुष्टदास, कुलोचित सदाचार से हीन, दुराचारपरायण, कुत्सित दृष्टि रखने वाला और सदा दुर्वचन बोलने वाला हूँ, हे भवानि! मुझ अधम की एकमात्र तुम्हीं गति हो।

प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं
दिनेशं निशीथेश्वरं वा कदाचित्।
न जानामि चान्यत् सदाहं शरण्ये
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥६॥


विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे
जले चानले पर्वते शत्रुमध्ये।
अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥७॥

अनाथो दरिद्रो जरारोगयुक्तो
महाक्षीणदीनः सदा जाड्यवक्त्रः।
विपत्तौ प्रविष्टः प्रणष्टः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥८॥